भारत संवाद अभियान नागरिकों का नागरिकों के लिए नागरिकों द्वारा चलाया गया अभियान है।
भारत संवाद अभियान के बारे में
भारत की आजादी के साथ भारत के लोग ब्रिटिश साम्राज्यशाही और राजशाही की ‘प्रजा’ होने के ठप्पे से मुक्त होकर आजाद देश के नागरिक बने। भारत की अंतरिम सरकार बनी और भारतीय गणराज्य का संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। 26 जनवरी 1950 को भारत के लोगों ने भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लक्ष्य के साथ भारत के संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया। अब वे विधिवत रूप से भारतीय गणराज्य के नागरिक थे। इस नाते संविधान द्वारा दिए गई विविध अधिकारों और कर्तव्यों के साथ उनकी भारत और विश्व में नई भूमिका की शुरुआत हुई।
भारत जैसे धार्मिक-सांस्कृतिक-भौगोलिक विविधताओं और सामाजिक-आर्थिक विषमताओं वाले पुराने समाज में लोगों में नागरिक चेतना विकसित करने के विशेष प्रयास किए जाने चाहिए थे। वैसा होता तो हमारे पास एक मजबूत भारतीय लोकतंत्र होता। साथ ही संवैधानिक प्रावधान, मूल्य और संस्थाएं नागरिकों की चेतना का हिस्सा बन जाते। लेकिन खेद की बात है कि ज्यादातर नेताओं और बुद्धिजीवियों ने वैसे प्रयास जरूरी नहीं समझे। नतीजा है कि आजादी के 75 साल बाद देश सांप्रदायिकता, जातिवाद, वंशवाद, व्यक्तिवाद का अखाड़ा तो बना ही हुआ है, बड़ी कुर्बानियों से हासिल की गई आजादी भी नवउपनिवेशवादी शिकंजे में फंस चुकी है। देशी-विदेशी कारपोरेट शक्तियों की ताबेदारी में लगा भारत का शासक-वर्ग भारत के लोगों को नागरिक की हैसियत से गिरा कर अपनी ‘प्रजा’ बनाने पर तुला हुआ है।
भारत संवाद अभियान भारत के लोगों में नागरिक चेतना विकसित करने का एक विनम्र प्रयास है। अभियान की विस्तृत जानकारी के लिए संलग्न आधार-पत्र को देखें। सभी सचेत और सरोकरधर्मी नागरिक भारत संवाद अभियान में शामिल होंगे तो आजादी के समय से छूटा हुआ यह जरूरी काम जल्दी पूरा होगा। और हम अपनी तात्कालिक और दीर्घावधि समस्याओं का अपने आप समाधान निकालने में कामयाब होंगे। नागरिक-बोध के साथ जीने के अभ्यास को चाहें तो नागरिक राष्ट्रवाद (सिविक नेशनलिज़्म) नाम दे सकते हैं।
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